समय से लिपटे कुछ लम्हे ,
यादो से भीगे कुछ हम है,
किस बरस ये बंजर ज़िन्दगी खिल उठे ,
जिसकी आस लगाये बैठे , वो प्यार का मौसम है !
जब लगती है दुनिया एक ख़ूबसूरत सपना ,
जब वो एक हो जिसे हम केह पाये अपना,
वो ऋत खिले तोह कभी बीते न वो लम्हा,
फिर याद न करना पड़े वो दिल का तरसना!
आरज़ू कि एक नाज़ुक डोर ,
जो खिचती रहे हमे उसकी ओर,
उस लम्हे में ज़िन्दगी एक मधुर संगीत लगे,
सुनाई पड़े उस जगह भी, जहा मचे भीड़ का शोर!
कैसे थामे ये बेचैनी ,
कब है वो ऋत आनी,
उसे ढूंढ़ता कब से फिर रहा,
न खो जाऊ मैं बन के एक अधूरी कहानी!
यादो से भीगे कुछ हम है,
किस बरस ये बंजर ज़िन्दगी खिल उठे ,
जिसकी आस लगाये बैठे , वो प्यार का मौसम है !
जब लगती है दुनिया एक ख़ूबसूरत सपना ,
जब वो एक हो जिसे हम केह पाये अपना,
वो ऋत खिले तोह कभी बीते न वो लम्हा,
फिर याद न करना पड़े वो दिल का तरसना!
आरज़ू कि एक नाज़ुक डोर ,
जो खिचती रहे हमे उसकी ओर,
उस लम्हे में ज़िन्दगी एक मधुर संगीत लगे,
सुनाई पड़े उस जगह भी, जहा मचे भीड़ का शोर!
कैसे थामे ये बेचैनी ,
कब है वो ऋत आनी,
उसे ढूंढ़ता कब से फिर रहा,
न खो जाऊ मैं बन के एक अधूरी कहानी!
No comments:
Post a Comment